Jalte Bujhte Charag (Hindi poetry book) by Manjit Singh Sandhu (जलते बुझते चराग)
तआरुफ़ – शायर का परिचय – मन जीत सिंह संधु
श्री मन जीत सिंह संधु के पिता लाहोर से ग्रेजुएशन के बाद 1944 में बतौर वायसराय कमिशंड ऑफिसर फौज में भर्ती हो गये थे और क्योंकि आप उन्हीं के साथ-साथ रहे तो स्कूली शिक्षा भी अलग-अलग शहरों में आर्मी चिल्ड्रन स्कूल में हासिल की।
अर्थशास्त्र में पोस्ट-ग्रेजुएशन गौरमेंट कॉलेज लुधिआना (पंजाब विश्वविद्यालय) चंडीगढ़ से और वित्तीय प्रबंध में एस. डी. कॉलेज श्री गंगानगर (राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर) से पूरी की।
खेलों में बचपन से ही शौक रहा। पेंटिंग करना और पहाड़ो में घूमना, नदी-नालों में तैराकी का शौक भी था।
जब से होश संभाला घर मे हर विषय की किताबों और हिंदी -अंग्रेजी की मैगज़ीन रहती थीं और इस तरहा आहिस्ता-आहिस्ता कक्षा आठवीं-नवमी में हिंदी साहित्य पढ़ने का शौक जगा जो ग्रेजुएशन तक रहा और साथ ही प्रकाश पंडित द्वारा संपादित उर्दू शायरान को पढ़ने लगे।
बी.ए. तक हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के सभी दिग्गज लेखक और हिंदी-उर्दू जगत के जाने-माने कवी – शायर पढ़ डाले और दसवीं से ही लिखने का शौक भी पैदा हो गया।
आपका पहला शेर है :
“बारे-ग़म है बहुत उठाया न जायेगा
बेहतर है दो-चार ग़म मुझे दे दो”
और इसी सिलसले में साहिर लुिधयानवी साहिब इनके दिल-जिगर मे समाते चले गये।
और ये पता ही न था कि एक दिन आप भी उन्हीं के काॅलेज में दाखिला लेंगे जहाँ कभी वे 30 बरस पहले पढ़े थे। काॅलेज है: सतीश चंद्र धवन गौरमेंट काॅलेज , लुिधयाना।
इसी काॅलेज मे लगातार दो बरस बेस्ट अथलीट और होस्टल के प्रीफेक्ट और अथलेटिक टीम के कप्तान बने जो इस काॅलेज में ( जिसमे राष्ट्रीय/अंतराष्ट्रीय/ओलिंपियन खिलाडी पैदा किये हैं ) ये उपलब्धि बहुत ही बड़ी बात थी। आप काॅलेज बासकेटबाल टीम के सदस्य भी रहे।
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में अंतर काॅलेजीय खेलों में ट्रिपल जम्प में सिल्वर मेडल जीता।
नौ बरस आई.पी.एस.सी. स्कूलों में पढाया (लॉरेंस स्कूल सनावर हिमाचल और श्री दसमेश अकादमी आनंदपुर साहिब पंजाब) और श्री दसमेश अकादमी में पांच बरस हाउस मास्टर रहे और यहाँ गुज़ारा वक़्त भुलाये नहीं भूलता।इसी स्कूल में आये दिन हाईकिंग-ट्रैकिंग में स्कूली बच्चों के साथ उतरते-चढ़ते, रातें बिताते और सुबह-शाम बासकेटबाल खेलते गुज़रे।
इसके बाद फरवरी 1994 में केंद्रीय विद्यालय संगठन मे सीधे भरती से प्रिंसिपल बन अगस्त 2013 में रिटायर हुए और झीलों की नगरी उदयपुर आ बसे।
रिटायर होने के बाद दो निजी स्कूलों में एक बार फिर तीन बरस की प्रिंसिपल की पारी खेली और एक बरस एक स्कूल में सीनियर कंसलटेंट की जिम्मेदारी निभाई।
बकौल इनके, “ज़िन्दगी – बुझते चराग सी रही मगर सच ही में बहुत खूबसूरत भी”।
आप के नज़्म गीत गज़ल पाठकों के दिलों को छू लेंगे ऐसा यकीन है।
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Note :
शायर का परिचय-Above Introduction to the poet is from the Book itself.The Global Talk Media gratefully acknowledges and compliments Hindi Sahitya Saadan ,New Delhi (www.hindisahityasadan.com for choosing to publish this great anthology of poems by S. Manjit Singh Sandhu. the book is also available on Amazon @ (जलते बुझते चराग) Jalte Bujhte Charag (Hindi Edition) https://www.amazon.in/dp/B08M8VFPPC/ref=cm_sw_r_wa_apa_glt_NXAJQ4KQN72GHX5EXZN3
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Mr Manjit Singh Sandhu is an illustrious alumnus of SCD Govt college, Ludhiana. His Alma mater’s alumni association takes pride in the literary pursuits of this multifaceted personality.
1 comment
I feel blessed to be the nephew of respected Mr. Manjit Singh Sandhu. His approach towards life has always been very positive, and the way he still goes on with all the energy and zeal is an inspiration in itself. I highly recommend this book to all the readers who love to read Hindi poetry.