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Aadhaar Bhoomi -Hindi literary world welcomes Gurbhajan Gill’s Punjabi Poetry. Rajender Tiwari & Pardeep Singh translate poetry in Hindi, published by Hans Prakashan, New Delhi

गुरभजन गिल के काव्यसंग्रह *आधार भूमि* का हिंदी जगत स्वागत करता है-बजरंगबिहारी तिवारी

कविता ने दुनिया को सुंदर बनाने का जिम्मा लिया। कवियों ने सुंदरता का कोष तैयार किया। सुंदरता सहजता-सरलता-मासूमियत की हमजोली है, हमराह है। वह पंखुड़ी को पत्थर होने से बचाती है।

गुरभजन गिल की कविताएं पढ़ते हुए हम उस सुंदरता का सान्निध्य हासिल करते हैं जिससे हमारा स्वत्व संवरता है, हमारा अंतरतम आलोकित होता है। गिल की कविता में बच्चों को लेकर जो चिंता है वह ऋजुता और मासूमियत की परवाह है। वे हथियारों से रहित दुनिया चाहते हैं। वे भली-भांति जानते हैं कि हथियारों के व्यापारी और उनके दम पर सत्ता कब्जाए लोग भरसक ऐसा होने नहीं देंगे। तब कवि जनता की तरफ उम्मीद से देखता है। उसकी कविता जनजागरण का मोर्चा संभालती है। वह युद्धोन्मादियों को धिक्कारभरी भाषा में संबोधित करती हैै और आम जन को उन खतरों का अहसास कराती है जो युद्ध के परिणामस्वरूप झेलने होंगे।

कवि की लेखनी जानती है कि हिंसा के पैरोकार “रांझे की बंशी से लेकर कन्हैया की बांसुरी” तक सब कुछ तोड़ सकते हैं। जो युद्ध छेड़ा गया है वह बंद तभी होगा जब रावण का अमृत कुण्ड सुखाया जाए। स्थिति यह है कि “दशहरा युद्ध का/ आखिरी दिन नहीं/ दसवाँ दिन होता है।” युद्ध चलता रहता है। हर वर्ष होने वाली रामलीला के लिए नायकों का टोटा पड़ जाता है। खलनायकों की बाढ़ आ जाती है।

गुरभजन गिल रिश्तो की चिंता करने वाले कवि हैं। वे माँ को बहुत ऊँचा स्थान देते हैं। ‘मेरी माँ’ शीर्षक कविता में वे लिखते हैं:

मेरी माँ को उड़ना नहीं आता था
पर हमें सुबह शाम
सपनों के पंख लगाती
और अनंत अंबर में उड़ाती।

समकाल पर गिल की सतर्क निगाह है। अनय और अनीति के जिन स्थलों पर कवि की दृष्टि जानी चाहिए, गिल न सिर्फ वहाँ तक पहुँचते हैं वरन् वे निर्भ्रांत होकर अपना पक्ष भी रखते हैं। मजदूर, विद्यार्थी, आसिफा जैसी बच्चियाँ, लोकतंत्र का अंतिम व्यक्ति, स्वयं संकटग्रस्त लोकतंत्र, लोकतंत्र की आवाज़ उठाने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान इस काव्य संग्रह में कवि के समर्थन के साथ मौजूद हैं। पुरखे कवियों की वाणी की अनुगूँज भी संग्रह में साफ-साफ सुनी जा सकती है-
बहुत कुछ बदलता है
कविता लिखने से

कविता लिखने से काले बादल
मेघदूत बन जाते हैं।

मुझे यक़ीन है कि किसी भी दर्द को पराया न समझने वाले पंजाबी कवि गुरभजन गिल के इस संग्रह का हिंदी जगत स्वागत करेगा।

-बजरंगबिहारी तिवारी

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