The Global Talk

Mini Story- By Prof P K Sharma

नन्ही कहानी  

अक्सर कहा जाता है कि”दीवारों के भी कान होते हैं!”

इसीलिए जिंदगी में हम कभी कभी अपने आप को ज्यादा ही समझदार,चतुर तथा होशियार होने का नाटक करते हैं पर असल में वैसे होते नहीं हैं। जिस के बारे में जो बात खुले में हम करना नहीं चाहते तभी इस मुहावरे को ही याद किया जाता है।

कई बार तो है जाने अनजाने में भी हम खुले मन से कुछ बाते स्वाभाविक तौर से  बोल रहे होते हैं जो ख्याबो ख्याल में नहीं सोच रहे होते कि कोई उन की परवाह कर रहा है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि कोई न कोई उस बात को अपने दिलों दिमाग में बसा लेता है जिस का प्रकटावा कब हो जाये यह देर बाद ही पता लगता है!

ऐसा ही अजब गजब अनुभव मेरे साथ भी हुआ ! कुछ समय पहले मैं परिवार में बैठे यूं ही बोला कि मैंने भूले भटके अंदाज में साबत अमरूद क्या खाया कि अपने दांत तुड़वा बैठा ! कई परिवार के सनेही इस मेरे तथा कथित बहादुर कृत्य की कहानी सुन रहे थे  !

मैं आज नहा धो कर गुस्ल खाने से बाहर निकला तो मेरी धर्म पत्नी ने एक मजेदार व प्यारी सी गप छप सांझा कर छोड़ी ! जब मैं नहा रहा था तो तीन वर्ष से ऊपर की हमारी पोती आयलीन अपनी दादी से अपनी कल्पनाएं प्रकट करने का मजा खेल  खेल में ले रही थी !

“जब मैं बड़ी हो जाऊंगी

तो फिर दादू बन जाऊंगी

तो फिर मैं अमरूद खाऊंगी

तो फिर मेरे दांत टूट जाएंगे

जब मैं ब्रश करूंगी तो दांत

फिर से ठीक हो जाएंगे।”

जब दादू ने ये सुना तो लहरा के बोले :

जब मैं बड़ा हो जाऊंगा

तो आयलीन बन जाऊंगा

तो मेरे दांत फिर से आ जायेंगे

फिर कोई यूं ही हंस के कहेगा

“वे तेरे दंद मोतियां दे दाने

हसदी दे डिग पेनगे”

प्रोफेसर पी के शर्मा,  फ्री लांस जर्नलिस्ट I दी फाउंडर शार्प आई चैनल

तिथि : 17 दिसंबर 2024

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