अब आगे आगे नहीं भागूंगी
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दादू दादी के बिस्तर पर स्कूल से घर लौटने पर आयलो खूब खेलने कूदने के मूड में थी !
फिर एक चादर उठा के उस में
लुका छुपी का खेल खेलते खेलते
मस्तियाँ करने लगी ! कभी दादू तो कभी दादी से नटखट हंसी में लोट पोट होने वाली मजाकिया शरारतें करती रही।
फिर एक दम ही हंसी सुनने की बजाये धड़ाम की आवाज सुनाई
पड़ी ! तभी रोने की आवाजें भी सुनने को मिली! चादर में पूरी तरह लिपटी हुई तथा खेल खेल में उसने न इधर देखा न उधर देखा और झट से चारपाई से नीचे।
दादू ने फिर चारपाई से उठ कर फटाफट देखा कि आयलो नीचे गिरी चादर में गुच्छ मुच्छ हुई रो रही थी। दादू ने उस को गोदी में उठाया फिर यहां उस ने सिर की ओर इशारा किया हाथ से सिर को सहलाया और मुंह से फूंके भी मारी। जब वोह नन्ही सी जान उस कुछ पलों के डरावने अनुभव से बाहर आई तो दादू के उत्साहवर्धन से द्वारा से खिलखिला कर हंसने लगी। वक्त के रंग तो न्यारे ही होते हैं कुछ पल का हंसना,फिर रोना और फिर से मुस्कुराना यही तो जीवन है!
दादू ने चुटकी लेते हुए आयलो से पूछ डाला इस से तुम्हे क्या सीख मिली। बड़े ही भोले अंदाज में बोली अब चादर में लुका छुपी का खेल तो खेलूंगी पर आगे भाग दौड़ नहीं करूंगी।धड़ाम से नीचे गिरने का कारण मस्ती में छुपा छुपी में भागना दौड़ना था।
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प्रोफेसर पी के शर्मा
फ्रीलांस जर्नलिस्ट
दी फाउंडर शार्प आई
यूट्यूब चैनल
दिनांक: 22अप्रैल,2025